गलत मार्ग का अंजाम
dhokebaaz aurat – यह कहानी बेशक पुराने दृश्य को लिए है लेकिन फिर भी आज के परिपेक्ष में काफी मायने रखती है क्योकि आजकल भी यही होता है भले ही इन्सान के तौर तरीके बदल गये है बहुत से पुरुष और स्त्री ऐसे है जो किन्ही कारणों से अपने जीवनसाथी के साथ धोखा देते है और अनेतिक राह पर चलते है जबकि हमे चाहिए कि अगर हम अपनी निजी जिन्दगी से संतुष्ट नहीं है तो अपने जीवनसाथी से बात करें उसके बाद जो भी रास्ता बन पड़े वो करे लेकिन तरीका नैतिक होना चाहिए वर्ना अनेतिक रास्तो पर चलने वालों की केसी हालत हो जाती है वो आप इस कहानी के जरिये बखूबी समझ सकते है |
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किसी ग्राम में किसान दम्पति रहा करते थे | किसान
तो बुढा था | पर उसकी पत्नी युवती थी | अपने पति से संतुष्ट न रहने की कारण किसान
की पत्नी सदा पर – पुरुष की टोह में रहती थी | इस कारण एक पल भी घर में नहीं रूकती
थी | एक दिन किसी ठग ने उसको घर से निकलते देख लिया | उसने उसका पीछा किया और जब देखा की वह एकांत में पहुच गई तो
उसके सम्मुख जाकर उसने कहा, ‘देखो मेरी पत्नी का देहान्त हो चूका है | में तुम पर
अनुरक्त हूँ | मेरे साथ चलो |’ वह बोली, ‘यदि ऐसी ही बात है तो मेरे पति के पास
बहुत सा धान है, बुडापे के कारण वाह हिलडुल नहीं सकता | में उसको लेकर अआती हूँ, जिससे
की हमारा भविष्य सुखमय बीते |’ ठीक है जाओ | कल प्रात : काल इसी समय इसी स्थान पार
मिल जाना |’ इसी प्रकार उस दिन वह किसान की स्त्री अपने घर लोट गई | रात होने पर
जब उसका पति सो गया, तो उसने अपने पति का धन समेटा और उसे लेकर प्रात : काल उस
स्थान पर जा पहुंची | दोनों वहाँ से चल दिए | दोनों अपने ग्राम से बहुत दूर निकल
आये थे की तभी मार्ग में गहरी नदी आ गई | उस समय उस ठग के मन में विचार आया की इस
ओरत को में अपने साथ ले जाकर क्या करूँगा | और फिर कोई इसको खोजता हुआ कोई इसके
पीछे आ गया तो वैसे भी संकट ही है | अत: किसी प्रकार इससे सारा धन हाथियाकर अपना
पिण्ड छुड़ाना चाहिये | यह विचार कर उसने कहा, ‘नदी बाड़ी गहरी है | पहले में गठरी
को उस पार रख आता हु, फिर तुमको अपनी पीठ पर लादकर उस पर ले चलूँगा | दोनों को एक
साथ ले चलना कठिन है |’ ठीक है, ऐसा ही करो |’ किसान की स्त्री ने अपनी गठरी उसे
पकड़ाई तो ठग बोला, ‘अपने पहने हुए गहने – कपडे भी दे दो, जिससे नदी में चलने की
किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी, और कपडे भीगेंगे भी नहीं |’ उसने वैसा ही किया |
उन्हें लेकर ठग नदी के उस पार गया तो फिर लोटकर आया ही नहीं | वह ओरत अपने
कुकर्त्यो के कारण कही की नहीं रही |
इसलिए कहते है की अपने हित के लिए गलत कर्मो का
मार्ग नहीं अपनाना चाहिये |
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