Independence Day Essay In
Hindi
भारत एक विशाल देश है | इसमें अनेक धर्मानुयायी ,
विभिन्न जातियां ,विभिन्न भाषा भाषी लोग रहते है |
वेशभूषा , खान –पान , बोलचाल की द्रष्टि से
विभिन्नता लक्षित होती है | किन्तु इस अनेकता के पीछे एकता की भावना निहित रही है
| यह यहाँ की सामाजिक संस्कृति की विशेषता रही है |
एकता की इस अनुभूति ने हमें सामाजिक राजनेतिक
जीवन के निर्माण में मदद की है | हमारे देश में धर्म एंव मजहब को मानने की पूरी
सवतंत्रता है , किन्तु इसका अनुचित लाभ नहीं उठाया जाना चाहिए | धर्म और मजहब तभी
तक है जब तक देश सुरक्षित है
Independence Day Essay In
Hindi
यदि देश की सवतंत्रता ही खतरे में पड़ जाएगी तो हम
और हमारा धर्म कही के भी नहीं रहेंगे | हमे उन बातों को प्रोत्साहित करना है जिनसे
एकता की भावना मजबूत होती है | भावनात्मकता एकता की सबसे अधिक आवश्यकता है |
वह ह्रदय नहीं पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
वास्तव में माता और मातृभूमि के मोह से मनुष्य
मृत्यु तक मुक्त नहीं होता। इन दोनों के इतने उपकार होते हैं कि मानव उनसे आजीवन
उऋण नहीं हो पाता मातृभूमि की मान रक्षा के लिए अपने को बलिदान करने में जो परम
आनंद प्राप्त होता है। देशहित के लिए अपना सर्वस्त्र बलिदान करने में जो सुख-शांति
मिलती है, उसका मूल्य कोई सच्चा देश भक्त ही जान सकता है।
देश सेवा और परोपकार ही उसका धर्म होता है। देशवासियों के सुख-दुख में ही उसका सुख-दुख निहित होता है। उसकी अंतरात्मा स्वार्थरहित होती है। देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए स्वदेश प्रेम परम आवश्यक है। जिस देश के निवासी अपने देश के कल्याण में अपना कल्याण, अपने देश के अभ्युदय में अपना उदय समझना चाहिए।
देश सेवा और परोपकार ही उसका धर्म होता है। देशवासियों के सुख-दुख में ही उसका सुख-दुख निहित होता है। उसकी अंतरात्मा स्वार्थरहित होती है। देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए स्वदेश प्रेम परम आवश्यक है। जिस देश के निवासी अपने देश के कल्याण में अपना कल्याण, अपने देश के अभ्युदय में अपना उदय समझना चाहिए।
Independence Day Essay In
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भारत के बढ़ते कदम भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर
भारत निरंतर प्रगति के पथ पर विकसित होता चला जा रहा है। आजाद भारत ने अपनी एक लंबी यात्रा पूरी कर ली है। अब उसकी योजनाओं का सुलझना शुरू हो गया है। अपनी उपलब्धियों को हम अक्सर कमतर आंका करते हैं। गर्व की अनूभूति में वह ताकत है जो आम जन में आशाओं और उम्मीदों का नया संचार करके उन्हें सामान्य से असामान्य ऊंचाइयों तक पहुंचा देती है।
गर्व की यह अनुभूति अवसाद और न उम्मीदी के सबसे हताशा भरे दौर में भी एक अरब लोगों के आत्मबल को ऊंचा उठा सकती है। स्वतंत्र भारत की प्रगति पर गर्व करने लायक।
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