सकारात्मक सोच की शक्ति – The Power Of Positive Thinking Hindi
power of positive thinking |
सकारात्मक सोच (Positive Thinking) के बिना जिंदगी अधूरी है | सकारात्मक सोच की
शक्ति से घोर अन्धकार को भी आशा की किरणों (Lights of Hope) से
रौशनी में बदला जा सकता है | हमारे विचारो पर हमारा स्वंय का नियंत्रण होता है
इसलिए यह हमें ही तय करना होता है की हमें सकारात्मक सोचना है या नकारात्मक |
हर विचार एक बीज है –
Every
Thought Is A Seed
हमारे पास दो तरह के
बीज होते है सकारात्मक विचार (Positive)एंव नकारात्मक विचार
(Negative Thoughts) है , जो आगे चलकर हमारे द्रष्टिकोण एंव व्यवहार
रुपी पेड़ का निर्धारण करता है | हम जैसा सोचते है वैसा बन जाते है (what we think we become)इसलिए कहा जाता है की जैसे हमारे विचार होते है
वैसा ही हमारा आचरण होता है |
यह हम पर निर्भर
करता है की हम अपने दिमाग रुपी ज़मीन में कोनसा बीज बोते है | थोड़ी सी चेतना एंव
सावधानी से हम कांटेदार पेड़ को महकते फूलो के पेड़ में बदल सकते है |
डेविड एंव गोलियथ की कहानी – Devid And Goliath Bible Story In Hindi
power of positive thinking |
बाइबिल की एक कहानी
काफी प्रसिद्ध है | एक गाँव में गोलियथ नाम का एक राक्षस था | उससे हर व्यक्ति
डरता था एंव परेशान था | एक दिन डेविड नाम का भेड़ चराने वाला लड़का उसी गाँव में
आया जहाँ लोग राक्षस के आतंक से भयभीत थे | डेविड ने लोगो से कहा की आप लोग इस
राक्षस से लड़ते क्यों नहीं हो ?
तब लोगो ने कहा – “वो
इतना बड़ा है की उसे मारा नहीं जा सकता”
डेविड ने कहा – “आप
सही कह रहे है की वह राक्षस बहुत बड़ा है | लेकिन बात यह नहीं की बड़ा होने की वजह
से उसे मारा नहीं जा सकता , बल्कि हकिकात तो यह है की वह इतना बड़ा है की उस पर
लगाया निशाना चुक ही नहीं सकता |”
फिर डेविड ने उस
राक्षस को गुलेल से मार दिया | राक्षस वही था लेकिन डेविड की सोच अलग थी |
कौनसे रंग का चश्मा पहना है ? Positive
Or Negative
जिस तरह काले रंग का
चश्मा पहनने पर हमें सब कुछ काला और लाल रंग का चश्मा पहनने पर सब कुछ लाल ही दिखाई
देता है उसी प्रकार नेगेटिव सोच से हमें अपने चारो और निराशा , दुःख और असंतोष ही
दिखाई देगा और पॉजिटिव सोच से हमें आशा , खुशियाँ एंव संतोष ही नज़र आएगा |
यह हम पर निर्भर
करता है की सकारात्मक चश्मे से इस दुनिया को देखते है या नकारात्मक चश्मे से |
नकारात्मक से सकारात्मक की और :-
सकारात्मकता की
शुरुआत आशा और विश्वास से होती है | किसी जगह पर चारो और अँधेरा है और वहां पर अगर
हम एक छोटा सा दीपक जला देंगे तो उस दीपक में इतनी शक्ति है की वह छोटा सा दीपक
चारो और फैले अँधेरे को एक पल में दूर कर देगा | इसी तरह आशा की एक किरण सारे
नकारात्मक विचारो को एक पल में मिटा सकती है |
“सकारात्मक सोचना या न सोचना हमारे मन के नियंत्रण में है और हमारा मन हामारे नियंत्रण में है | अगर हम अपने मन से नियंत्रण हटा लेंगे तो मन अपनी मर्जी करेगा और हमें पता भी नहीं चलेगा की कब हमारे मन में नकारात्मक पेड़ उग गए है|”
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