Tuesday 29 September 2015

Heart Touching } संघर्ष की कहानी , Engineering Student Struggle Story

Posted by- radiateashok

सच्चे संघर्ष की कहानी , Engineering Student Struggle Story

motivational story
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कहा जाता है की अगर इंसान में संघर्ष और कठिन मेहनत करने की क्षमता हो तो दुनिया में ऐसा कोई मुकाम नहीं है जिसे हासिल ना किया जा सके | कवि रामधारी सिंह दिनकर ने सही ही कहा है की “मानव जब जोर लगाता है ,पत्थर पानी बन जाता है”| यह कथन कानपूर के रहने वाले अभिषेक पर बिलकुल सही बैठता है | सोना तपकर ही कुंदन बनता है और इतिहास गवाह है की जिन लोगो ने अपना जीवन अभावो में गुजारा है वही लोग आगे चलकर सफलता को हासिल करते है |

कोई भी माँ बाप कितने भी गरीब हो पर सबका सपना होता है की उनका बच्चा खूब पढाई करे |ऐसी ही एक बहुत गरीब परिवार की कहानी है जो दिल को छुते हुए गहरे सन्देश छोडती है |

कानपूर के रहने वाले अभिषेक कुमार भारती ने 2010 में भारत के सबसे कठिन इंजीनियरिंग परीक्षा IIT – JEE को पास किया जो अपने एप में एक अद्भुत उपलब्धि है | अभिषेक के पिता राजेंद्र प्रसाद एक जूता सिलने वाले मोची है , यह सुनने में जरुर अजीब लगेगा लेकिन सत्य है और माँ घर में लोगो के फटे कपडे सिलकर कुछ पैसे इक्कठे करती है | परिवार की रोज की देनिक आमदनी मुश्किल से 150 रूपए है जिसमे परिवार का खर्चा चलना बहुत ही मुश्किल है | और घर के नाम पर एक छोटा सा कमरा है | कई बार अभिषेक खुद पिता की अनुपस्थिति में जूतों की सिलाई करता था | और कभी कुछ पैसे कमाने के लिए नगरपालिका के कर्मचारियों के साथ काम भी करता था | 
लेकिन पढ़ने की चाह अभिषेक में शुरू से ही थी | वो रातभर जागकर पढाई करता था | घर में बिजली कनेक्शन नहीं था तो लालटेन जलाकर ही रात को पढाई करनी पड़ती थी | अच्छी पढाई के लिए ना कोचिंग के पैसे थे और ना ही किताबे खरीदने के फिर भी अभिषेक जी जान से लगा रहता था | वो कभी हार ना मानने वाले लोगो में से था , अपने दोस्तों से पुरानी किताबे लेकर पढाई किया करता था | उसकी लगन के आगे आखिर किस्मत को झुकना ही पड़ा और अभिषेक ने वो उपलब्धि हासिल की जिसका लाखो भारतीय छात्र सपना देखते है | आज अभिषेक IIT Kanpur में AEROSPACE Engineering की पढाई कर रहे है |


तो मित्रो , सफलता कोई एक रात का खेल नहीं है जो पलक झपकते ही किस्मत बदल जाएगी , आपको कठिन मेहनत करनी होगी खुद को संघर्ष रुपी आग में तपाना होगा , फिर देखिये दुनिया आपके कदमो में झुक जाएगी |

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Thursday 24 September 2015

जीवन को बदल देने वाली सच्ची कहानी

Posted by- radiateashok

जीवन को बदल देने वाली सच्ची कहानी

आप शायद माने या न माने , पर हमारे जीवन के छोटे से छोटे कार्य भी हमारे जीवन में महत्पूर्ण भूमिका निभाते है | इसलिए कहा जाता है की आप जब भी किसी से मिले , पुरे जोश से मिले , हमेशा दुसरो की मदद करे और जो काम करे पूरी ईमानदारी से करे | फिर देखिये आपके जीवन में कैसे नए – नए रास्ते खुलते चले जाते है |

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इसी बात को प्रमाणित करती है यह प्रेरक कहानी (motivationall story) जो यह बताती है की आपका अच्छा व्यवहार (healthy and positive attitude) आपके लिए कितना महत्पूर्ण हो सकता है ये कहानी मुझे वाट्स ऐप (whatsapp) से मेरे एक मित्र ने भेजी थी | मुझे ये इतनी पसंद आई की में आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ | क्योकि क्या पता यह किसके दिल को छू जाये , और उसका जीवन बदल जाये |

ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट में काम करता था | वह दिन का अंतिम समय था और सभी लोग घर जाने को तैयार थे | तभी प्लांट में एक तकनिकी समस्या उतपन हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया | जब तक वह कार्य पूरा करता , तब तक अत्यधिक देर हो गयी , लाईटे बुझा दी गयी , दरवाजे सील हो गए और वह उसी प्लांट में बंद हो गया | बिना हवा व् प्रकाश के पूरी रात आइस प्लांट में फंसे रहने के कारण उसकी कब्रगाह बनना तय था |
लगभग आधा घंटे का समय बीत गया | तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते पाया | क्या यह एक चमत्कार था ? उसने देखा की दरवाजे पर सिक्योरिटी गार्ड टॉर्च लिए खड़ा है | उसने उसे बाहर निकालने में मदद की |

बाहर निकलकर उस व्यक्ति ने सिक्योरिटी से पूछा “आपको कैसे पता चला की में भीतर हूँ?”
गार्ड ने उत्तर दिया – “सर , इस प्लांट में 50 लोग कार्य करते है पर सीर्फ एक आप है जो मुझे सुबह आने पर हेलो व् शाम को जाते समय बाय कहते है | आज सुबह आप ड्यूटी पर आये थे पर शाम को आप बाहर नहीं आये | इससे मुझे शंका हुई और में देखने चला आया|”


वह व्यक्ति नहीं जानता था की उसका किसी को छोटा सा सम्मान देना कभी उसका जीवन बचाएगा | याद रखे , जब भी आप किसी से मिले तो उसका गर्मजोशी और मुस्कराहट के साथ सम्मान करे | हमें नहीं पता , पर हो सकता है ये आपके जीवन में भी चमत्कार दिखा दे |

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Tuesday 15 September 2015

inspiring story in hindi :हिम्मत मत हारो

Posted by- radiateashok

inspiring story in hindi

हिम्मत मत हारो

एक दिन एक किसान का गधा कुएं में गिर गया | वह गधा घंटो जोर – जोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा की उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं | अंतत : उसने निर्णय लिया की चूँकि गधा काफी बुढा हो चूका था , अत: उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था | और उसे कुएं में ही दफना देना चाहिए |

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किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया | सभी ने एक – एक फावड़ा पकड़ा और कुएं में मिट्टी डालना शुरू कर दी | जैसे ही गधे की समझ में आया की यह क्या हो रहा है , वह और जोर से चीख – चीख कर रोने लगा | और फिर अचानक वह आश्चर्यजनक रूप से शांत हो गया |
सब लोग चुपचाप कुएं में मिट्टी डालते रहे | तभी किसान ने कुएं में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया | अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था | वह हिल – हिल कर उस मिट्टी को निचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढाकर उस पर चढ़ जाता था |
जैसे  - जैसे किसान तथा उसके पडोसी उस पर फावड़ो से मिट्टी गिराते वैसे – वैसे वह हिल – हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता | जल्दी ही आश्चर्यचकित करते हुए गधा कुएं के किनारे पर पहुँच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया |
ध्यान रखो दोस्तों , तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह की मिट्टी फेंकी जाएगी , बहुत तरह की गन्दगी तुम पर गिरेगी | जैसे की , तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार मी ही तुम्हारी आलोचना करेगा , कोई तुम्हारी सफलता से इर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहूँगा | कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शो के विरुद्ध होंगे | ऐसे में तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएं में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हिल – हिल कर हर तरह की गन्दगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर , उसे सीढी बनाकर , बिना अपने आदर्शो का त्याग किये अपने कदमो को आगे बढ़ाते जाना है |
अत: याद रखो ! जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए –
1)    नकारात्मक विचारो को उनके विपरीत सकारात्मक विचारो से विस्थापित करते रहो |

2)    आलोचनाओ से विचलित न हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो |

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Thursday 10 September 2015

Mahatma Gandhi: अहिंसा का पहला पाठ

Posted by- radiateashok

Mahatma Gandhi: अहिंसा का पहला पाठ

अहिंसा का पहला पाठ
अहिंसा का पहला पाठ


गांधीजी का जन्म 2 अक्टुम्बर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था | गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था हम उन्हें प्यार से बापू पुकारते है उन्ही की प्रेरणा से हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था तो साथियों आज की पोस्ट में गांधीजी के अहिंसा के पाठ के बारे में बताया जा रहा है |

बात उन दिनों की है जब गांधीजी हाईस्कूल में पढ़ रहे थे | वह गलत लोगो की सांगत में पड गए | इस सांगत का असर उनकी जीवन शैली पर भी पड़ने लगा | वे उन ल्लाद्को के साथ धुम्रपान करने लगे | मांसाहार भी उन्होंने शुरू कर दिया इन व्यसनों को पूरा करने के लिए एक – दो बार अपने ही घर में चोरी भी की | उसके बाद आत्मग्लानी में जीवन से उकताकर आत्महत्या का विचार करने लगे | वह बराबर यह महसूस कर रहे थे की हम गलत रह पर है | उन्होंने तय किया और उस रह से बाहर आने का प्रयास शुरू कर दिया |

अब वे अपनी कमियों को त्यागना चाहते थे अतः उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकारने का एक तरीका निकला | उन्होंने अपनी सभी गलतियों को ईमानदारी से एक पत्र में विस्तारपूर्वक लिखा और उसे अपने पिताजी के हाथ में थमा दिया | वह उन दिनों बड़े असव्स्थ चल रहे थे | पिताजी अपने पुत्र के लिखे उस पत्र को पढ़ते जा रहे थे और उनकी आँखे नाम होती जा राही थी | पूरा पत्र पढ़ने के बाद उन्होंने पत्र के टुकड़े – टुकड़े कर दिए और उनकी आँखों से आंसू बहने लगे |


गांधीजी भी अपने पिता के समक्ष खूब रोये | पिता के प्रेम से भरे उन आंसुओ ने गांधीजी को ऐसे भिगोया की वे खुद भी रो रहे थे और ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे पिता और उनके आंसू मिलकर उनकी आत्मग्लानी को धोते जा रहे थे | वह खुद को शुद्ध महसूस करते जा रहे थे | लगा जैसे उन आंसुओ से उनके सभी अपराध धुल गए | गाँधी के लिए अपने जीवन में यह अहिंसा का पहल पाठ था जो उनके पिता ने उन्हें पढ़ाया | 

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