बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
friends,
hamari day-today-life me kai baar aisa hota hai ki hum ya to bahut gusse me ,ya bas yu hi kuch aisa kah jate hai jo hame nahi kahana chahiye, aaj me aapke sath choti si story share kar raha hu , ise dhyan se padhiye or isse milne wali sikh ko apne jivan me utaar lijiye....
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एक बार एक
किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का
एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच
जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा ,
” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर
के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़
चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही
तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से
निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
- कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ
भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर
क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए,
पर human
nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान
कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.
- जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता
है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप
रहा जाए.
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